Mamtansh ajit

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तुम मेरा चाँद हों




*तुम मेरा चाँद हों*

मैं हूँ सुबह पुरानी,
तू मेरी सुहानी शाम हो,
ख़ूबसूरती किरदार में है तेरे,
तुम मेरा चाँद हों।

सुंदरता का प्रतिमान हो तुम,
विश्लेषण न कर सकूँ तुम्हारी सुंदरता का,
तुम असीमित आसमान हों,
मैं बह जाऊँ तुम्हारे बिन,
मुझें बाँधे रखें वो बाँध हों,
तुम मेरा चाँद हों।

बस जैसी हों हमेशा वैसी ही रहना,
जैसी नदी बहती हैं अविरल हमेशा वैसी ही बहना,
काया की सुंदरता कुछ नही हैं,
बिना सीरत ये शरीर कुछ नही है,
तुमनें सिखाया है मुझें,
ख़ुद कों स्वीकार करना,
लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह न करना,
मैं हूँ तब ही जब तुम मेरे साथ हो,
तुम मेरा चाँद हों।

ममतांश अजीत
कोटपूतली-बहरोड़,राजस्थान।





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3 Comments

Varsha_Upadhyay

20-Feb-2024 05:10 PM

Nice

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Gunjan Kamal

20-Feb-2024 02:25 PM

👏🏻👌🏻

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Mohammed urooj khan

20-Feb-2024 12:08 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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